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Saturday, October 29, 2016

थोङा दिना पेछ ए शायद कोनी मिलेला

खाणो वाइफ �रो,
पाणी पाइप 🚰रो,
ध्यान एक री,
सलाह दो री,
गावणो तीन रो,
चोकडी चार री,
पंचायती पान्च री,
छाती कुटो छ: रो,
प्यार भाई 👬रो,
नशो दवाई रो,
दूध गाय 🐄रो,

स्वाद मलाई रो,
वेर दुश्मन� रो,
वगार राई रो,
एको नाई रो,
घर लुगाई �रो,
टोन्को दर्ज़ी रो
मेसेज � दमजी रो
न्याय ताकडी �रो,
साग काकडी �रो,
जाल मकडी �रो,
बलितो लकडी �रो,
घी जाट रो,
तेल हाट रो,
तोलणो बाट �रो,
लाडु सुण्ठ रो,
कपडो ऊन 🐏रो,
घाघरो वरी रो,
और नाम बोलो हरी रो। |
💭थोड़ा दिना पछे ए शायद कोनी मिलेला ⌛

Monday, October 3, 2016

""""""तुम्ही तो जग की माता हो""""'""'

मरूधर में दरबार हर पल हो जय जयकार

माँ दधीमथी सरकार तुम करूणा की मूरत हो

तुम्ही तो माँ की सूरत हो......

कर में ले तलवार करती असुरों पर वार

फिर भी नयनों में प्यार माँ तुम सबकी त्राता हो

तुम्ही तो जग की माता हो......

सब देवता सदा ही करते हैं तेरी पूजा

हर मुश्किल दूर कर दे तुझसा ना कोई दूजा

हुए जब जब असुर भारी माँ तूने किया संहार

मरूधर में दरबार.........

तूँ दुर्गा तू ही काली माँ तू ही शेरों वाली

तू कमला महालक्ष्मी माँ ऊँचे डेरों वाली

ब्रम्हाणी, रूद्राणी माँ तेरे रूप हजार

मरूधर में दरबार....

अधरों पे माँ के सोहे मुस्कान कितनी प्यारी

करूणा भरे कजरारे  नयनों की छवी न्यारी

केशर का तिलक माथे नथ का अनुपम श्रिंगार

मरूधर में दरबार...

हम नटखट तेरे बच्चे बस खेलें तेरे अंगना

ममतामयी जगदम्बे ममता की छाँव रखना

है जो तेरा हाथ सिर पे डरने की क्या दरकार

मरूधर में दरबार....

-----दधिमथी माँ माहाराणी लाग-----

बब्बर सिंह प चढी माँ महाराणी लाग

कि म्हान दधीमथी माँ जगदम्बा भवानी लाग

आ तो ब्रम्हाणी रूद्राणी कमलाराणी लाग-कमलाराणी लाग

कि म्हान दधीमथी माँ जगदम्बा भवानी लाग

प्रगटी जद भू फाड़ भवानी हुई गर्जना भारी

घबरायो ग्वाल्यो डर भाग्यो भागी गायाँ सारी

गोठ माँगलोद माँ की रजधानी लाग-रजधानी लाग

कि म्हान दधीमथी माँ जगदम्बा भवानी लाग

केशर तिलक बोरलो माथे नथली रो सिणगार

प्यारी सी आख्याँ म काजल फूलाँ रो गळहार

आ तो ममता री मूरत सुहाणी लाग -रे सुहाणी लाग

कि म्हान दधीमथी माँ जगदम्बा भवानी लाग

दधिमथि माँ रो ध्यान धर भाई जो नर आठूँ याम

उणरी बाधा दूर कर माँ पूर सारा काम

इणर नाम स्यूँ सफल जिंदगानी लाग -रे जिंदगानी लाग

कि म्हान दधीमथी माँ जगदम्बा भवानी लाग

बब्बर सिंह प चढी माँ महाराणी लाग

कि म्हान दधीमथी माँ जगदम्बा भवानी लाग

****मेयाजी म्हें तो टाबर थारा...****

मैयाजी म्हें तो टाबर थारा...मैयाजी म्हें तो टाबर थारा...

ले गोद लडाओ लाड थे पूछो आँसू म्हारा....2

मैयाजी म्हें तो टाबर थारा... मैयाजी म्हें तो टाबर थारा...

दधिमथी माँ महतारी लाज अब राखो म्हारी

घड़ी संकट की आई शरण म्हें आया थारी

हिवड़ा म ऊठ हूक दरश बिन नैण दुखारा...2

मैयाजी म्हें तो टाबर थारा... मैयाजी म्हें तो टाबर थारा...

होठ ज्यूँ मन मन मुळक नैणाँ स्यूँ करूणा छळक

स्वरण नथ हीराँवाली मात मुख चमचम चमक

केशर तिलकाँ पर बोर चूनड़ी जड़्या सितारा...2

मैयाजी म्हें तो टाबर थारा... मैयाजी म्हें तो टाबर थारा...

मुकुट माथा पर सोव रूप सगळाँ न मोव

तेज की ऐसी मूरत चाँद सूरज सुध खोव

चढ सिंह पधारो आज कराँ म्हें दरषन सारा....2

मैयाजी म्हें तो टाबर थारा... मैयाजी म्हें तो टाबर थारा...

जगत का गोरखधंधा रोग सतरासौबीसी

कामना गिणी न जाव भोग नहिं पाँच पचीसी

थे करो दया काटो करमाँ का बन्धन सारा.....2

मैयाजी म्हें तो टाबर थारा... मैयाजी म्हें तो टाबर थारा

******दधिमथी माँ के दर्शन******

दधिमथी माँ बिलखां म्हें तो कद थारा दर्शन पावाँ

इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

माॅ इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

गोठ मांगलोद बीच बिराज मा दधिमथी कहाव है

दाधीचाँ री कुल देवी पण  सगली जात्याँ आव है

सबकी मंषा पूरण  करणी सगळा थारा गुण गावाँ

इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

जोत अखंड जळ मिज मंदिर अधर खम्भ महिमा गाव

इमरत नीर कुण्ड म भरियो देव सिनान करण आव

ध्वजा फरूख असमाना म निरख निरख म्हें हरषावाँ

इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

¬

हाथ जोड़ कर कर चाकरी रिद्धि सिद्ध सम्पत सारी

नाच भैंरू गजानन्द बजरंगी भोला भंडारी

ढोल नगाड़ा नौबत बाज शोभा म्हें नहिं कह पावाँ

इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

म्हांकी मरजी चल नहीं तूँ चाव जद मिलणो होव

माॅ सलटाव काम घणेरा टाबर पड़्यो पड़्यो रोव

सुण ये माॅ म्हें टाबर थारा तन छोड़ अब सिद जावाँ

इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

दधिमथी माँ बिलखां म्हें तो कद थारा दर्शन पावाँ

इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ

मेया एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए

मैया एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए
माता एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए
म्हान थास्यूं  आस लगी है मैया थास्यूं  प्रीत लगी है
मत ना तोड़ दीजो ए
मैया एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए

जद भी कोई पड़ बीपदा दोड़्यो दोड़्यो आवूँ मैया दोड़्यो दोड़्यो आवूँ

चैत आसोजां र मेला म माँ दूर कियां  रह पावूं मैया दूर कियां  रह पावूं

जळ बिन मछली ज्यूँ  तड़पूं  थे जाण लीजो ए
मैया एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए

थारी महर हो जाव माता  जात जड़ूला ल्यावूँ माता जात जड़ूला ल्यावूँ
सवामणी कर दाल चूरमो बाटी भोग लगावूँ मैया छप्पन भोग सजाऊँ
जागरणो अभिषेक करूं थे किरपा करज्यो ए
मैया एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए

सांझ पड़्यां  टाबरिया थारा हरष हरष गुण गाव मैया हरष हरष गुण गाव
थार पोढण री खातिर माँ  फुलड़ां सेज सजाव मैया फुलड़ां सेज सजाव
पोढण  री बेळ्यां  म्हान परसादी दीजो ए
माता एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए
म्हान थास्यूं  आस लगी है मैया थास्यूं  प्रीत लगी है
मत ना तोड़ दीजो ए
मैया एकर तो दरबार म बुलाय लीजो ए

Sunday, October 2, 2016

माँ दधीमथी गोठ माँगलोद

जगदम्बा जग तारिणी,,मैं धरु तिहारो ध्यान...
आपरे शरणे आविया,,ओ माँ राखिजो सब रो मान...!!!
सुप्रभात... 🙏🙏🙏 ***जय माता दी***

बाजरिया थारो खिचङो लागे घणो स्वाद

बाजरिया थारो खीचड़ो लागै घणो स्वाद खीचड़ो आपणो खास खाजो। आखातीज नै खास तौर सूं घर-घर रंधै। स्वाद रो कांईं लेखो। मोठ-बाजरै रो खीचड़ो खांवता-खांवता को धापै नीं। खीचड़ै पर आपणी भाषा में मोकळा गीत। ओ लोकगीत भी घणो चावो। लिखारै रो नांव तो ठा कोनी पण आपणै तांईं मांड'र भेज्यो है सूरतगढ़ सूं भाई रोहित सारस्वत। बांचो सा! बाजरिया थारो खीचड़ो लागै घणो स्वाद। लागै घणो स्वाद, लागै घणो स्वाद।। टीबां बायो बाजरो, रेळां में बाया मोठ, गौरी ऊभी खेत में, आ कर घूंघट की ओट। बाजरिया थारो खीचड़ो लागै घणो स्वाद।। गेहूवां कै फलकां की म्हे तो, खावां जेटमजेट, खीचड़ा कै दो चाटू सूं, भरज्या म्हां को पेट। बाजरिया थारो खीचड़ो लागै घणो स्वाद।। खदबद हींजै खीचड़ो, नै फदफद हींजै खाटो, ल्या ए छोरी सोगर खातर, बाजरियै रो आटो। बाजरिया थारो खीचड़ो लागै घणो स्वाद।। घर आया जद पावणां, नै रांध्यो खीचड़ खाटो, खाटो, इण खाटै नै देखनै बो आज जंवाई न्हाटो। रै बाजरिया थारो खीचड़ो लागै घणो स्वाद।। आज रो औखांणो खीचड़ै री जितरी महिमा करी जावै कम। पण आम बोलचाल में जिका औखांणा चलै बै इणनै हळको अर हीणो गिणावै। जदी तो कोई निरभागी आदमी सारू आ कहावत कैवै- करमहीण किसनियो, जान कठै सूं जाय। करमां लिखी खीचड़ी, खीर कठै सूं खाय।।

Saturday, October 1, 2016

दबंग जाट

दुगस्ताऊ गाँव हे विक्की नाम रखता हूं नागोर जिल का जाट हूँ और दबंग पहचान रखता हूँ, जाती नेतङ हे दिल मे ईमान रखता हूं, बाहर शांत हूँ,अंदर तूफान रखता हूँ, रख के तराजू मेँ अपने दोस्तोँ की खुशियां,दूसरे पलडे मेँ अपनी जान रखता हूँ