दधिमथी माँ बिलखां म्हें तो कद थारा दर्शन पावाँ
इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
माॅ इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
गोठ मांगलोद बीच बिराज मा दधिमथी कहाव है
दाधीचाँ री कुल देवी पण सगली जात्याँ आव है
सबकी मंषा पूरण करणी सगळा थारा गुण गावाँ
इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
जोत अखंड जळ मिज मंदिर अधर खम्भ महिमा गाव
इमरत नीर कुण्ड म भरियो देव सिनान करण आव
ध्वजा फरूख असमाना म निरख निरख म्हें हरषावाँ
इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
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हाथ जोड़ कर कर चाकरी रिद्धि सिद्ध सम्पत सारी
नाच भैंरू गजानन्द बजरंगी भोला भंडारी
ढोल नगाड़ा नौबत बाज शोभा म्हें नहिं कह पावाँ
इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
म्हांकी मरजी चल नहीं तूँ चाव जद मिलणो होव
माॅ सलटाव काम घणेरा टाबर पड़्यो पड़्यो रोव
सुण ये माॅ म्हें टाबर थारा तन छोड़ अब सिद जावाँ
इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
दधिमथी माँ बिलखां म्हें तो कद थारा दर्शन पावाँ
इतरी तो कर महर साल म एकर तो मंदिर आवाँ
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