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Monday, October 3, 2016

""""""तुम्ही तो जग की माता हो""""'""'

मरूधर में दरबार हर पल हो जय जयकार

माँ दधीमथी सरकार तुम करूणा की मूरत हो

तुम्ही तो माँ की सूरत हो......

कर में ले तलवार करती असुरों पर वार

फिर भी नयनों में प्यार माँ तुम सबकी त्राता हो

तुम्ही तो जग की माता हो......

सब देवता सदा ही करते हैं तेरी पूजा

हर मुश्किल दूर कर दे तुझसा ना कोई दूजा

हुए जब जब असुर भारी माँ तूने किया संहार

मरूधर में दरबार.........

तूँ दुर्गा तू ही काली माँ तू ही शेरों वाली

तू कमला महालक्ष्मी माँ ऊँचे डेरों वाली

ब्रम्हाणी, रूद्राणी माँ तेरे रूप हजार

मरूधर में दरबार....

अधरों पे माँ के सोहे मुस्कान कितनी प्यारी

करूणा भरे कजरारे  नयनों की छवी न्यारी

केशर का तिलक माथे नथ का अनुपम श्रिंगार

मरूधर में दरबार...

हम नटखट तेरे बच्चे बस खेलें तेरे अंगना

ममतामयी जगदम्बे ममता की छाँव रखना

है जो तेरा हाथ सिर पे डरने की क्या दरकार

मरूधर में दरबार....

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