मुहब्बत में किसी ने तोड़े तारे तो कोई तोड़ लाया चाँद
मैंने चलायी है साइकिल दोनों हाथ छोड़ के..।। ☺
कोऊ दिन उठ गयो मेरा हाथ
बलम तोहे ऐसा मारूंगी
ऐसा मारूंगी बलम तोहे ऐसा मारूंगी
चकला मारूं बेलन मारूं फुंकनी मारूंगी
जो बालम तेरी मैया बचावै
वाकी चुटिया उखाड़ूंगी
थाली मारूं कटोरी मारूं चम्मच मारूंगी
जो बालम तेरी बहना बचावै
वाकी चुनरी फाड़ूंगी
लाठी मारूं डंडा मारूं थप्पड़ मारूंगी
जो बालम तेरो भैया बचावै
वाकी मूंछे उखाड़ूंगी
पाळगोठ
पांच - च्यार घरां बिचाळै
पळज्यै
गंडकां रो परवार
पण
दो‘रा हुज्यै पळना
बडेरा मां-बाप
पांच-च्यार बेटां बिचाळै।
बिना किसी सोफ्टवेयर के अपनी जन्म कुण्डली बनाये Make your horoscope without any software
आप सबने अपनी जन्म कुण्डली किसी पण्डित जी या ज्योतिषाचार्य से बनवाई होगी । जन्म कुण्डली बनाते समय जन्म के समय के नक्षत्रो,ग्रहो आदि की गणना की जाती है । ज्योतिष विज्ञान मे दो महत्व पूर्ण घटक है एक गणन दूसरा फलन । ये दोनों घटक मिलकर ही इस विज्ञान को सम्पूर्ण बनाते है । इस गणन के कार्य मे मानवीय भूल होना सम्भव है । इस भूल की वजह से कोई भी भविष्य वेत्ता कुण्डली को देख कर सही भविष्यवाणी नही कर सकता है । सही भविष्यवाणी के लिये शुद्ध रूप से बनी कुण्डली जरूरी है ।
पुराने समय मे गणना करने के लिये साधनों का अभाव था इस लिये जैसे तैसे काम चला लेते थे लेकिन आज का समय विज्ञान एंव तकनीक का है । इसलिये आप को परेशान होने की जरूरत नही है। आप अपनी जन्म कुण्डली अपने कम्प्यूटर के द्वारा बिना किसी साफ्टवेयर के, ओन लाईन रह कर इस वेब साइट की मदद से बना सकते है ।
इस मे आपको दो तीन जरूरी जानकारी भरनी है, जैसे जन्म तिथि, जन्म का समय और जन्म का स्थान आदि और बस हो गया आपकी जन्म कुण्डली तैयार और किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखा कर मार्ग दर्शन ले सकते है ।
गांव में एक लुगाई बुहारी निकाळ रैयी थी ।चौक में उण
रो धणी बैठ्यो थो। बा बुहारी काडती-काडती उणरै कनै आई
तो बोली, 'परै सी सरकियो ।'
आदमी उठकै पौळी में आगो। लुगाई भी बुहारी काडती-
काडती पौळी में आगी और धणी नै बोली, 'आगै नै
सरकियो दिखां ।'
आदमी बारलै चौक में आगो। थोड़ी ताळ पछै बठै भी आगै
सरकणै की बात कैयी । बो उठकै घरां रै बारणै दरूजै पर
आगो अर चबूतरै पर बैठगो । लुगाई बुहारती-बुहारती घरां कै
बारै आई तो पति नै बोली, 'सरकियो दिखां।'
आदमी आखतो होय'र मुंबई चल्यो गयो । बठै सूं
चिट्ठी लिखी- 'अब भी तेरै अड़ूं हूं कै और आगै सरकूं? आगै
समंदर है, देख लिए।'
दूहा
औ बागड़, औ बेकरौ गोरड़ियां-रा गाम।
वीजाणंद मिलिया-तणी, हियै रहेसी हाम।।1।।
बूठै वेली थाई बरखा रति वरखा-सणी।
तेतलियूं तन मांहि बावेग्यौ वीजाणदी।।2।।
वीजाणंदी वलेह वले काइ बैसानरै।
त्रीजे ताली देह दांत सकी दाखिसै नहीं।।3।।
डर डूंङ्री चढेह जीविस तां जोइस घणौ।
वीजाणंदी वलैह भांछडियो भेटिस नहीं।।4।।
लाखां मिलिया लोइ मन बीजा मानै नहीं।
तूंबडियालै तोइ व्रव लागीं वीजाणंदै।।5।।
किण महुरत कहियांह वारिया कवि वीजाणंदै।
वातां विच रहियांह सिरे न चढियां सूरउत।।6।।
भणिज्यौ भाछलियाह संदेसी सयणी-तणी।
जीवन जमवाराह रिध माडै रहिस्यै नहीं।।7।।
कद हूं कवी कुमारड़ी कहि नै कदि परिणेसि।
कद हूं वाजदि कोटड़ै वीजा-वहू कहेसि।।8।।
कंइयां रहूं कुमारड़ी कइयां ह परिणेसि।
सासू सदै आंगणै वीजा-बहू कहेसि।।9।।
गात महाभड़ गालिया भड़ सारीखा भीम।
सत विह-रौ सयणी कहै हिव् जाणीस्यै हीम।।10।।
जो जाण हेड़ाउयां लागै इतरी दीह।
चढियौड़ै सथै हुवा सरिसा बीजा सीह।।11।।
वीजड़ घण सायालवी लागी पुडग मरांह।
था-रै कारण साहिबा ! आडा वाण तिराह।।12।।
सुण रै म्हारी सखी सहेली,
किती सुखी है आ छोटी सी चिड़कली |
जद मन करै रुंख पै आवै,
जद मन करै आकास में फुर सूं उड़ जावै |
सुण रै म्हारी सखी सहेली,
आज्या चालां आपां भी उड़बा बाळपणा मै |
खावां खाटा-मीठा बोरया, अर काचर-मतिरा
आज्या मौज मनावां कांकड़ मै |
आज्या घर बणावां माटी का, गळीयारा में
खेलां चोपड़ - पासा, तिबारा में |
लै खेलां लुख -मिचणी ओ रयुं
तूं लुख्ज्या म्हूँ तनै हैरुं |
किती सुखी है आ छोटी सी चिड़कली
न तो ब्याह की चिंता, न ही सासरै आणों-जाणों
अर न ही घुंघटो पड़े काढणों |
सुण रै म्हारी सखी सहेली,
चाल बाळपणा नै देवां झालो
आज्या हिंडोळा हिंडा सावण-तिजां मै
अर पूजां ईसर-गौर, गणगौरां मै |
लै आपां गुड्डी बणावां चिरमी-चिप्ल्या की
आज ओळयूं आई पाछी ,पेल्याँ की |
श्रवण कुमार,
आम्बा भाया मोकळा , देशी नाक्यो खाद ।
पोता-पोती खावता , मने करेगा याद ।।
मने करेगा याद , गजब का हा दादाजी ।
ग्या बेकुंठा माय , कहे धरती माताजी ।।
कवे श्रवण कुमार , सोचज्यो लोग-लुगाईयां ।
कुण-कुण करसी याद, थां कई आम्बा भाया ।।
श्रवण कुमार
सावन लाग्यो भादवो जी
यो तो बरसन लाग्यो मेह , बनिसा
मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
म्हारी द्योराणियां जेठाणियां रूसगी रे
म्हारा सासूजी बनाबा ने जाए, बनिसा
मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
उगण लागी बाजरी रे म्हारी उगन लागी बाजरी रे
म्हारी उगण लागी जवार , बनिसा
मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
काटूं मैं काटूं बाजरी रे म्हारी काटूं मैं काटूं बाजरी रे
म्हारी काटूँ मैं काटूं जवार , बनिसा
मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
आळ्या में पड़गी बाजरी जी म्हारी आळ्या में पड़गी बाजरी जी
म्हारी कोठा में पड़गी जवार , बनिसा
मोरीया रे झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे झट सियाळो लाग्यो रे
म्हारी द्योराणियां जेठाणियां रूसगी रे
म्हारा सासूजी मनाबा ने जाए , बनिसा
मोरिया रे झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे
झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे........
झट चौमासो लाग्यो रे सियाळो लाग्यो रे..........
राबङी
आज हम आपको सिखायेंगे छाछ की राबड़ी---
सामग्री - एक लीटर छाछ
बाजरा कूटा हुआ - 100 ग्राम ,
कोरी हांडी - 1,
नाल्डी/ चाटू /टोकसी- 1,
घोटणी - 1,
लूण आवश्यकता अनुसार..
विधि :---
सर्व प्रथम
कोरी हांडी लीजिये,
हांडी ले कर अपने गाँव में
घर घर डोलिए,
जिस किसी के घर छाछ
बनी हो, 1 लीटर
छाछ मांग कर लाइए,
अब घर आ कर 100
ग्राम बाजरा लेकर
ऊखली में मूसल
की सहायता से मोटी-
मोटी कूटिए..
हांडी को चूल्हे पर
चढ़ा दीजिये व
कूटा हुआ बाजरा छाछ में
डाल दीजिये..
धीमी- धीमी बास्ते जगाते रहिए
और घोटणी से
कूटा बाजरा मिश्रित छाछ को
हिलाते रहिये..
लूण अपने स्वादानुसार
साथ में ही डाल सकते हैं
ध्यान रहे बास्ते जोरकी मत
जगाइए इससे राबड़ी के
हांडी में लागने
की गुन्जाईस रहती है...
जब छाछ उफान लेने लग
जाए तो 2-3
उफान दिराकर
हांडी को उतार कर
अराही पर रख दीजिये.
नाल्डी की सहायता से
गर्मागर्म
राबड़ी अपने
मेहमानों को परोस दीजिए
और आप भी थाली ले कर
राबड़ी सबड़किये .....
हो सके तो फटाफट
राबड़ी को सलटा दीजिये..
बच जावे तो सुबह सुबह कलेवे में
खा लिजिये !
नोट : बच्चो को गर्म
हांडी से दूर रखिये
उन्हें प्यार से समझा कर
दूर कीजिये,
फिर भी ना माने तो जट पकड़
कर २-३- लाफे धर दीजिये..
हमारा उद्देश्य :
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