दूहा
औ बागड़, औ बेकरौ गोरड़ियां-रा गाम।
वीजाणंद मिलिया-तणी, हियै रहेसी हाम।।1।।
बूठै वेली थाई बरखा रति वरखा-सणी।
तेतलियूं तन मांहि बावेग्यौ वीजाणदी।।2।।
वीजाणंदी वलेह वले काइ बैसानरै।
त्रीजे ताली देह दांत सकी दाखिसै नहीं।।3।।
डर डूंङ्री चढेह जीविस तां जोइस घणौ।
वीजाणंदी वलैह भांछडियो भेटिस नहीं।।4।।
लाखां मिलिया लोइ मन बीजा मानै नहीं।
तूंबडियालै तोइ व्रव लागीं वीजाणंदै।।5।।
किण महुरत कहियांह वारिया कवि वीजाणंदै।
वातां विच रहियांह सिरे न चढियां सूरउत।।6।।
भणिज्यौ भाछलियाह संदेसी सयणी-तणी।
जीवन जमवाराह रिध माडै रहिस्यै नहीं।।7।।
कद हूं कवी कुमारड़ी कहि नै कदि परिणेसि।
कद हूं वाजदि कोटड़ै वीजा-वहू कहेसि।।8।।
कंइयां रहूं कुमारड़ी कइयां ह परिणेसि।
सासू सदै आंगणै वीजा-बहू कहेसि।।9।।
गात महाभड़ गालिया भड़ सारीखा भीम।
सत विह-रौ सयणी कहै हिव् जाणीस्यै हीम।।10।।
जो जाण हेड़ाउयां लागै इतरी दीह।
चढियौड़ै सथै हुवा सरिसा बीजा सीह।।11।।
वीजड़ घण सायालवी लागी पुडग मरांह।
था-रै कारण साहिबा ! आडा वाण तिराह।।12।।
Wednesday, August 5, 2015
मारवाङी दोहा :---
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