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Thursday, September 24, 2015

गाँव कि यादें

म्हारौ बाळपणो
ओज्युं गाँव मांय

गुवाड़ी री चूंतरया माथै 

पग लटकायां बैठ्यो है 

गाँव री बूढी-बडेरया 

ओज्युं संज्यों राखी है 

म्हारी तोतली बोली ने  

आपरै मना मांय 

म्हारै बाळपणै री तस्वीरा
ओज्युं जम्योड़ी है

बारै निजरां मांय 

गाँव जाऊँ जणा
माथै पर दोन्यू हाथ फैर'र 

दैव मनस्यूं आसीसा

थारी हजारी उमर हुवै
थे सदा सुखी रेवो
दुधां न्हावो, पूतां फळो 

ओ गाँव है

अठै मन रो रिस्तो रैवै
अपणायत रो रिस्तो रैवै

मिनखपणो दिखै
पग-पग पर अठै
हेत-नेह री ओज्युं
लैरा ब्येवै अठै। 

युवा दिलों कि धङकन

(युवा ह्रदय सम्राट, जन जन के हितेषी, किसाननेता श्री हनुमान जी बेनिवाल पर लिखी मेरी कविता )

.................. हर जाती को चाहता है.हर छाती मे धडकता है.जाटो का अभिमान है. वो शेर हनुमान है!! तलवार की धार है.बरसता अगार है.आसमान मे निशान है.वो शेर हनुमान है!! जिसने आके किया पाप है.उसको दी वही मात है.इसके पास हर कमान है. वो शेर हनुमान है!! जो जन बेगुनाह है.उनकी यह पनाह है.सत्य का श्रीमान है.वो शेर हनुमान है!! मैदानएजंग का शुर है.वीरो का वीर है.उसकी शक्ती तूफान है. वो शेर हनुमान है!! समुद्र का भूचाल है.जाटो का नाज है.धरती कि शान है.वो शेर हनुमान है!! निष्ठावान् विधायक है.हर शख्स का रखवाला है. खीवसर का ताज है.वो शेर हनुमान है!! विरोधियो को फाडा है. दलगतो को तोडा है.बडा जिदादिल इँसान है.वो शेर हनुमान है!! बिजली सा चमका है.बादल सा गरजा है.चट्टानोँ सा बलवान है.वो शेर हनुमान है!! आज सुनाई हुँकार है. तुम्हेँ खुली ललकार है.जिसे जातीय मान है.वो शेर हनुमान है!! साथ जनता की रवानी है,यही विजय की कहानी है.फिर आयेगा हमे विश्वास है.वो शेर हनुमान है!! उंचा ये पहाड है, शेर कि दहाड है.'तेजाभक्त'गाये गुणगान है,वो शेर हनुमान है!!वो शेर हनुमान है!!वो शेर हनुमान है!! वो शेर हनुमान है!!___________________ लेखक -श्रवण कुमार

झुम रही हे बाजरियां

सोनल वरणा धोंरियाँ  पर
मूँग, मोठ लहरावै रे
मोरण, सीटा और मतीरा 
मरवण रे मन भावै रे
रे देखो खेता में झूम रही है बाजरियाँ।

सावण बरसे भादवो 
मुलके मरुधर माटी रे
बणठण चाली तीजणया 
हाथी हौदे तीज रे
रे देखो बागा में झूल रही है कामणियाँ।

होली आवे धूम मचावै
गूंजै फाग धमाल रे
चँग बजावे घीनड़  घाले 
उड़े रंग गुलाल रे
रे देखो होली में नाच रही है फागणियाँ।

सरवर बौले सुवटा 
बागां बोलै मोर रे
पणघट चाली गौरड़ी 
कर सोलह सिंणगार रे
रे देखो पणघट पर बाज रही है पायलियाँ।

बिरखा रे आवण री बेल्या 
चिड़ी नहावै रेत रे
आज पावणों आवलो 
संदेशो देव काग रे
रे देखो मेड़ी पर बोल रियो है कागलियो।