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Thursday, September 24, 2015

झुम रही हे बाजरियां

सोनल वरणा धोंरियाँ  पर
मूँग, मोठ लहरावै रे
मोरण, सीटा और मतीरा 
मरवण रे मन भावै रे
रे देखो खेता में झूम रही है बाजरियाँ।

सावण बरसे भादवो 
मुलके मरुधर माटी रे
बणठण चाली तीजणया 
हाथी हौदे तीज रे
रे देखो बागा में झूल रही है कामणियाँ।

होली आवे धूम मचावै
गूंजै फाग धमाल रे
चँग बजावे घीनड़  घाले 
उड़े रंग गुलाल रे
रे देखो होली में नाच रही है फागणियाँ।

सरवर बौले सुवटा 
बागां बोलै मोर रे
पणघट चाली गौरड़ी 
कर सोलह सिंणगार रे
रे देखो पणघट पर बाज रही है पायलियाँ।

बिरखा रे आवण री बेल्या 
चिड़ी नहावै रेत रे
आज पावणों आवलो 
संदेशो देव काग रे
रे देखो मेड़ी पर बोल रियो है कागलियो।

1 comment:

  1. अति सुन्दर ! लाजवाब भाव तो अच्छे है पर भाषा की तो टॉग ही तोड़ दी

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