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Thursday, September 24, 2015

गाँव कि यादें

म्हारौ बाळपणो
ओज्युं गाँव मांय

गुवाड़ी री चूंतरया माथै 

पग लटकायां बैठ्यो है 

गाँव री बूढी-बडेरया 

ओज्युं संज्यों राखी है 

म्हारी तोतली बोली ने  

आपरै मना मांय 

म्हारै बाळपणै री तस्वीरा
ओज्युं जम्योड़ी है

बारै निजरां मांय 

गाँव जाऊँ जणा
माथै पर दोन्यू हाथ फैर'र 

दैव मनस्यूं आसीसा

थारी हजारी उमर हुवै
थे सदा सुखी रेवो
दुधां न्हावो, पूतां फळो 

ओ गाँव है

अठै मन रो रिस्तो रैवै
अपणायत रो रिस्तो रैवै

मिनखपणो दिखै
पग-पग पर अठै
हेत-नेह री ओज्युं
लैरा ब्येवै अठै। 

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