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Monday, February 1, 2016

डांकळो

[1]

लूंठा कवि हां श्रवण कुमार  चोटिया ।

सुणाया करां दूहा फ़ोगट रि खावां रोटिया ॥

पैली तो खूब जागता

पछै टिपन चक भाजता

साहब  जद चक लेता सोटियो ॥

[2]

ठुमक’र ऊंदरै कन्नै आ कैवण लागी ऊंदरी ।

देखो जी म्हूं लागूं हूं नी आज विश्व सुंदरी ॥

बोल्यो परनै जा रांड

थोबड और आगै मांड

नासां इयां लागै जाणै सीसी हुवै गूंद री ॥

[3]

नितनेमी हा पंडत जी दोनूं टैम मांगता आटो ।

छोडता कोनी जे मिल जांवतो डांगरां रो चाटो ॥

कुत्तियां री ही अबखाई

दिक्कत ही तो ही आ ई

ईं सारू राखता साथळ ताईं प्लास्तर रो पाट्टो ॥

[4]

चीज मांगतो जणां बोलतो ओ के प्लीज ।

आसूडो इस्सो पढ्यो कै भूलग्यो तमीज ॥

टैम ही भौर री

हाजत ही जोर री

हंगण बैठग्यो पैंट री जाग्यां खोल’र कमीज़॥

[5]

रसगुल्लां री दुकान खोली प्रभु जी पूर ।

गाहक पटांवतां रै ऊडण लाग्यो बूर ॥

साल भर अड्या रे’या

रसगुल्ला सारा पड्या रे’या

छेकड जंवतां रा बिकग्या बांरा स्सै पूर ॥

[6]

मुर्गी दांईं बांग देंवती मुर्गी बाई पंडा ।

मिनखां में बैठती जद गाळ देंवती गंडा ॥

आप रै सुभाव सूं

नाम रै प्रभाव सूं

दिन में दिया करती बा पांच-सात अंडा ॥

[7]

अमेरीका रा लूंठा सोखीन मिस्टर डांग ।

गंडक ल्यांता मोल,कई ल्यांता मांग ॥

इण रो होयो असर

सरीर में होगी कसर

मूत करता मतैई उठ जांवती एक टांग ॥

[8] 
जाबक लिगतो हो बोगड़ सिँह परमार।
हरेक चीज खावण नै रैँ'वतो त्यार ॥
लुगाई कीँ घाल्यो कोनीँ
...जोर कीँ चाल्यो कोनी
रीसां बळतो चाबग्यो लुगाई री सलवार।।
[9]
टींगर परनावण चाल्यो भत्तू मल मे'रा।
बीन रूसग्यो बण लिया कोनीँ फेरा ॥
छोरी बोली आ ले
रसमड़ी निभा ले
फेरां सारु नीँ तो भेज दे बापू तेरा॥

[10]

ऐक सी सकल री ही मा अर बेटी ।

फ़ुटरापै में कोई नीं ही जाबक हेटी ॥

आयो जणां जुवाई

करग्यो बो दुवाई

मा नै सागै लेग्यो, घरां रै’गी बेटी ॥

[11]

जाबक ई भोळो हो बापडो अल्लाद्दीन ।

कूकतो फ़िल्म में देख दर्द आळा सीन ॥

आई मुकळावै री घडी

बीनणी बीं री रो पडी

बोल्यो छोडो बपडी नै म्हैं नी ईंरो बीन ॥

[12]

ऊपर सूं नीचै तांईं ऐकसा हा मिस्टर सपडा।

डाडा जंचता जणां पै’रता नूआं-नूआं कपडा॥

मावडी मळ उतारिया

बण पेट में उतारिया

घाल्या जियां पाछा आग्या खाया जका बडा ॥

[13]

पान खाय’र रमेसियै लाल कर लिया होट ।

घर आळी देख’र बोली ओ जी थानै फ़ोट ॥

पै’ली कसर ही आ’ई

अब लागो हो लुगाई

ल्यो पै’र ल्यो भलांई अब तो ओ पेटीकोट ॥

[14]

लूंठा पै’लवान हा मिस्टर भूंडा राम भभूत ।

हरा नाख्या बां कुस्ती में पै’लवान मजबूत ॥

करता जणां बडाई

आंख काढती लुगाई

डरता होळै सी पैंट में कर देंवता लाई मूत॥

[15]

गांव में स्सै सूं हुंस्यार हो सरपंच जी रो छोरो ।

आगे रेंवंतो जद होंवतो कोई मंत्री जी रो दोरो ॥

कईयां नैं फ़ंसावंतो

कईयां नै मरवांवतो

काढ्यां बिनां डी’ल में कोई छोटो-मोटो मोरो ॥

[16]

बापू बोल्या बोट पडै़ घाल’र आ रै ।

मोड़ो हुवै खेत नै जल्दी कर जा रै ॥

ढोलकी खनै जद गया

पतळा हा तिसळग्या

खुद पड़्या मांय अर बोट रेग्यो बा’रै ॥

[17]

गोष्ठी री बै’स में इस्सी लाम्बी बधी बात ।

कै ताण मारियां ई नीं सुळझी आखी रात ॥

आखतो हो सब्बळियो

सिंझ्या गाडी चढ लियो

निवड़ण सूं पै’ली दे आयो रूणीचै री जात ॥

[18]

झब्बियै री लुगाई ही बोलाक बेजा ।

सामने आळां रा खाय जावंती भेजा ॥

घर में रेवंतो नी कोई

बापडी़ पीवै कीं रो लोई

छात माथै चढ़ बा गाया करती तेजा ॥

[19]

झिंडियै री डीकरियां पतळी ही जंचा’र ।

धरियोडी हुवै जाणै सांगरियां पचा’र ॥

ऐक-ऐक कर’र

सै भेळी कर’र

तूळ्यां आळी पेटी में सुवावंता जंचा’र ॥

[20]

डाढी पींवता दारू मिस्टर तुक्कल भल्ला ।

आखै दिन होयोडा़ रेंवता चूंच अर लल्ला ॥

ऐक दिन नीं टळता

नीं मिल्यां बै बळता

टिकता तो बस पड्यां मैडमजी रा खल्ला ॥

[21]

बाज़ आळी खाली सीसी मांगी पाडोसी ।

थै तो रोज पीओ खाली तो पडी़ होसी ॥

घर में तो आत कोनी

आग्या तो बात कोनी

ल्याओ मंगाओ,खाली करां जल्दी सी ॥

[22]

ऊंदरा बोल्या दारू पीवां पै’लै तोड़ री ।

दुनियां में होवै कोनी ईं रै जोड़ री ॥

छोड़ां कोनी आ दुआई

छोड़ ई देस्यां लुगाई

लुगाई ई हुवै बेलियो ज़ड झोड़ री ॥

[23]

हथकढ री बोतल गटक’र डोल्यो ।

चांद धरती माथै उतरसी बोल्यो ॥

ऊंदरी बोली थम

साळा कुत्ता जम

खल्ल खळका चांद भेजूं अण्तोल्यो ॥

[24]

बिलडी़ तो ही कोनीं हा फ़गत ऊंदरा ।

दारू आळै ठेकै में मोटी मोटी तूंद रा ॥

दिन मॆ पस्त

रात में मस्त

रोब सूं खांवता होटल में लाडू गूंद रा ॥

[25]

आभै में जावण रो भी है ऐक रा ।

गंगलै गप्पी ठोकी ऐक दिन आ ॥

लौग बोल्या चाल सागै

धरती माथै जी नी लागै

बोल्यो चालस्यां,पै’ली बणाओ चा ॥

[26]

भोत जोर रो गप्पी हो गंगू जी रो गौपाल ।

कै"योडो पाछौ नीं लेंवतो चावै कैवो चौपाल ॥

ऐक दिन अड़ग्यौ

कोई नीं रड़क्यौ

बोल्यो अमेरिका में ही है,अठै कठै है भोपाल ॥

[27]

तीरथ सारू गई दादी बूढ़ळी ही भोळी ।

लुळ’र नहाई गंगा जी में खुलगी चोळी ॥

दीखै हो अंग आधौ

साम्ही तकै हो दादौ

बोली परनै फ़ुरौ,सरम सूं होगी मैं धोळी ॥

[28]

परलीकै रो पट्टू जी पटियाळै सूं ल्यायो घोन ।

ऐक दिन अंट’र होई खड़ी तोड़्यौ नी बण मोन॥

बोली चरदी नीं तेरा

जी नीं लगदा मेरा

किन्नै दिन होगे आया नीं मम्मी जी दा फ़ोन ॥

[29]

धूपड़ चंद जी कवि हा सांतरा ।

गीत गाया करता भांत-भांत रा ॥

सफ़लता रो राज

ठाह लाग्यो आज

सुणा’र बै भाज जांवता आंतरा ॥

[30]

हज़ामत करावण गयौ डेमलौ डांगी ।

लम्बाई देख हज़ाम निसरनी मांगी ॥

ऐक ऐक पेडी़ चढ़तौ

बोल्यौ बो रड़भड़तौ

राम देखौ,ईं रै कठै जा’र भौडकी टांगी ॥

[31]

दारू रा सौखीन हा भूतड़ जी पडि़हार ।

इण नसै लारै खो लियौ बां परिवार ॥

गळग्या जद गंडा

लेय’र झौळी डंडा

माळा फ़ेरण लागग्या जा’र हरिद्वार ॥

[32]

दारू पींवतां जद कीं राख देवंता ढक्कण में ।

ऊंदरा मज़ा लेंवता सेठजी रै ईं लक्खण में ॥

सेठाणी भौत समझावै

मक्खण क्यूं नी भावै

ऊंदरा बोल्या.बी.पी.रो रोग होवै मक्खन में ॥

[33]

फ़ोटू खैंचावण स्टूडियो गई चिमली ताई ।

सामनै बैठा,फ़ोटोग्राफ़र मींची आंख डाई ॥

ताई बठै सूं हटगी

फ़ोटू खातर नटगी

बोली,मरज्याणा पै’ली बण राखीबंद भाई ॥

[34]

सै’र री ही बीनणी पै’ली बार देखी डाग ।

झूट में ही डागड़ी मुंडै ऊपड़ै हा झाग ॥

बोली फ़ूट्या करम

ऊंटणी है बेसरम

दोपारां देखो पेस्ट करै,लागौ ईं रै आग ॥

[35]

ज़हाज़ री सवारी सारू अंटग्यौ लूधो सहारण ।

रिसाणौ होय भींतां में लाग्यौ टक्कर मारण ॥

लुगाई नै आई रीस

खल्ल टेक्या बीस

बिना ज़हाज़ ई उडग्यौ रोही में भैंसा चारण ॥

[36]

बिना बीज धरती माथै पैदा नीं होवै कोई चीज ।

गुलाब जामण में भी होया करै छोटो सो बीज ॥

धणी री सुण पाखती

लुगाई बोली आखती

तो जाओ बीज देओ खेत में कूलर-पंखा-फ़्रीज ॥

[37]

मैडम रै पग में पड़गी मजरोड़ ।

डागधर सूं संध्यौ नीं ऐडी रो जोड़॥

काळियै रै होगी फ़स्सी

झाल’र हाथ में कस्सी

खोद न्हाखी बीं भादरा आळी रोड़ ॥

[38]

मैडम रै चढग्यौ मलेरिया बुखार ।

काळू ल्यायौ डागधर जी नै बुला’र॥

दागधर देखी नाड़

पछै पाई बीं झाड़

मैडमजी नैं राखौ माछरां सूं लुका’र॥

[39]

ऐक दिन ,ऐक ऊंदरो अंटग्यौ गाम रो ।

बोल्यो खाऊं तो खाऊं अचार आम रो ॥

ऊंदरी बोली ओ बाबू

मन नै राख तूं काबू

बिल में कींयां लगै मोटो रूंख आम रो ॥

[40]

गांव मे डाकौत हो नांव हो दौगड़ ।

गाय मिली दान में लारै हो टॊगड़ ॥

रूई टाळ भावै नीं

चारौ कोई खावै नीं

छेकड़ नीर दियौ गूदडां रो लोगड़ ॥

[41]

गंजो हो थाणेदार पण राखतौ कांगसी ।

मन ई मन उपाड़ लेंतौ सिर में मांग सी॥

चोरां रै होगी मोज

कांगसी देंता रोज

नीं ले जांवतां जकां रै मारतौ डांग सी ॥

[42]

गंगाजी में नहावण गया गंगू जी गंगोटा ।

गऊघाट माथै देख्या बां पंडा मोटा-मोटा ॥

म्हैं ई बणतौ पंडौ

जे होंवतौ् म्हैं रंडौ

ब्या कर’र घर आळां के काढ लिया गोटा ॥

[43]

कोई फ़रक नीं हो कागलै अर टोनियैं रै मासै में ।

और काळौ होग्यौ नौकरी करतां-करतां बासै में ॥

कपडा़ जद पै’रतौ धोळा

लुगाई करती भोत रोळा

थै तो इयां लागौ,जाणै मकौडो बड़ग्यौ पतासै में ॥

[44]

सीख जिसौ पतळौ हो सोटियौ सपडौ़ ।

ओपतौ कोनीं डील माथै कोई कपडौ़ ॥

ऐक दिन आई रीस

गाभा पै’र लिया बीस

चालतां ई पड़ग्यौ सांस आळौ लफ़डौ ॥

[45]

ऊंदरी बोली ऊंदरै सूं बचन सुणौ बांदी रा ।

चालौ आपां धनवाद करां महात्मागांधी रा ॥

टूट जांवता दांत

गळ जांवती आंत

कागज़ री जाग्यां जे नोट चाल जांता चांदी रा ॥

[46]

दारू पी पा सेठ बोतल कर दी जरू बंद ।

खुली नीं ऊंदरां सूं घसग्या दांत आळा संद ॥

छेकड़ सोफ़ी ई सोया

पण सारी रात रोया

मरै कोनीं सेठ,मरज्याणौ साळौ कुत्तौ गंद ॥

[47]

सेठजी रै बाव सुरियो आधी सी रात नैं ।

ऊंदरौ-ऊंदरी लडि़या , पकड़ ईं बात नैं ॥

छूट्यौ है बम्ब गोलौ

नीं,कोई और है रोळौ

ओबामा सूं बातडी़ करस्यां परभात में ॥

[48]

दारू पी ऊंदरा बोल्या मिनकी नै कूटस्यां ।

भेळा होय सगळा आज रांड माथै टूटस्यां ॥

चढी जद विसकी

फ़ूंक बांरे खिसकी

पकड़ लिया तो फ़ेर आपां कीकर छूटस्यां ॥

[49]

बिल्ली ही फ़ूटरी ऊंदरै रो मन डोलग्यौ ।

खन्नै जाय’र बो आई लव यू बोलग्यौ ॥

बिल्ली होई राज़ी

बोली,जा रे पाज़ी

तन्नै के खाऊं तूं तो म्हरौ रूप तोलग्यौ ॥

[50]

मायड़ भाषा बिना क्यांरी है जियारी ।

कोई पूछौ नीं आय’र हालत म्हारी ॥

दूजा दळै है मूंग

म्हारै बतावै गूंग

खोस’र नौकरियां मोकळी सरकारी ॥

[51]

दिल्ली-जयपुर भेजै अंग्रेजी में राज रा फ़रमान ।

म्हानै तो भाईडां कोनी ठीकसर हिंदी रो ई ग्यान ॥

जामां गूंगा ई

मरां गूंगा ई

ठाह नीं कद मिलसी मायड़ भाषा में बोलण रो विधान ॥

[52]

आपणै लौकराज री देखौ कारसतानी ।

नेता बोट तो मांगै बोल’र राजस्थानी ॥

जनता सूं करै वादा

संसद में बणै दादा

मानता री बात माथै ताकै बगलां खानीं ॥

[53]

गोगो जांभौ रामदेव है राजस्थानी ।

जकां नै धौकै समूळा हिंदुस्तानी ॥

पेट पिलाण भाज्या आवै

राजस्थानी भजन गावै

संसद क्यूं टाळै भाषा राजस्थानी॥

[54]

पंछी बोल्या आपां बोलां हां आपणी भाषा ।

आं राजस्थान्यां रै पड़ रैया है देखौ सांसा ॥

सब कीं जाणतां

देवै नी मानता

साठ साल सूं आं बापडा़ नै मिलै है झांसा ॥

[55]

त्रिपाठी सर ढाळ नै क्यूं बोलै है ढाल ।

म्हे नीं बोलां तो कूट कूट काढै खाळ ॥

भाषा बिन्यां तो दुरगत है

गूंगां री ई कोई गत है

मायड़ भाषा में क्यूं नी पढावै ऐ हाल ॥

[56]

गा ब्याई   टोगडियौ ल्याई   च्यार बिलांत रो ।

दूवणियै रै झटको मारतौ चौखो सो लात रो ॥

गा रै चौफ़ेरै झूमग्यो

दूध    सारो     चूंघग्यो

सिंझ्या पै’ली बणग्यो बो गौधो ऐक जात रो ॥

[57]

दैनिक अखबार काढ्यौ मिस्टर तरेश शरमा ।

फ़टाफ़ट छाप लिया  सात आठ रंगीन फ़रमा ॥

सलाह तो नेक ही

मान्यो नी ऐक ही

अजकाळै चुगतो फ़िरै लाई गाडै लारै नरमा ॥

[58]

लूंठा पै’लवान हा मिस्टर भूत मलजी भूतिया ।

हरा काढता लूंठां नै कै’ परा पै’लवान ऊतिया ॥

करता खुद री बडाई

आंख काढती लुगाई

डरता लाई कर देंवता झट पेंट में ई मूतिया  ॥

[59]

टीको काढ गमछो टांग गाभा पै’रता नूआंनुक ।

ब्यांव  खातर  रैंवता       पंडत जी  हरमेम बुक ॥

रासण ल्यांता कोनीं

रोटी ई खांता  कोनी

काम धिका लेंवता बै खा परा घरआळी रा डुक ॥

[60]

मिनकी रो ब्या मंड्यो    जानी आया ऊंदरा ।

बोल्या , खावां तो खावां   लाडू म्है गूंद रा ॥

बिल्लां रो डर दिल में

सोया सगळा   बिल में

घराती मांगण लाग्या जद नाप बांरी तूंद रा ॥

[61]

गुळसंटै जेडौ मीठौ बोलतो नंदू आळौ फ़त्तौ ।

बातां में रस घोळतौ बो      सेत सूं भी बत्तौ ॥

करतो जणां हताई

हों जांवती अबखाई

राफ़ां ऊपर लाग जांवतौ सेतमाख्यां रो छत्तो ॥

[62]

जोर रो कवि मच्यो खदेसियो खदाणी ।

कविता में कैं’वतौ बो लूंठी सी कहाणी ॥

काढ्तो राग बो ऊंची

राफ़ां फ़ड़तौ   समूची

सुणन आळा फ़ेर जांवता मुंडै में मधाणी ॥

[63]

फ़ूसियै रा झींटा झाल’र बोली ताई ।

लाडी तूं क्यूं इत्ती आ जट है बधाई ॥

बाळ’र ऐक झांपो

लगा दिन्यो लांपो

भाई री टाट    गोडो सी काढ ल्याई ॥

[64]

पै’ली बार पान खा्य’र आयो जणां रामलो ।

ईसकै री आग में बळग्यो देख’र श्यामलो ॥

जा’र लारली गळी

पूरी कर ली रळी

मुंडौ कर लियो लाल होट चाब’र सामलो ॥

[65]

नूंओ नूंओ परकासण खोल्यो भाई सब्बूजी सांखळा ।

पै’ली पोत छापण ढूक्या    कागद जी रा  डांखळा ॥

छापै कींयां पोथी

बातां तो ही थोथी

गुड़गांवै सूं उडग्या चुपचाप      लगा लगू’र पांखळा ||

[66]

पंडत जी  रो ,  खराब होग्यौ लेपटोप ।

अब कींयां सुणै , लुक’र संगीत पोप ॥

राजी होय बोली मैडम

खुद  ई  छेडां    सरगम

म्हूं बणूं गोपी थारी अर थे बणौ गोप ॥

[67]

सागै बिना चालै नीं   जूण बात है नी टोप ।

चार्जर बिनां  जवाब देग्यौ     देखौ लेपटोप ॥

थे ऐकला ई फ़िरो

दिखै  बठै ई टिरो

हो फ़िस्स,पण समझौ खुद नै मुगलां री तोप॥

[68]

बीनणीं रै सोख चढ्यौ सीखूंगी कम्प्यूटर ।

खरीद लेपटोप र राख लियौ ऐक  ट्यूटर ॥

ट्यूटर रै आयगी ही तार

बळ भुजियौ हो भरतार

नौकरी छोड’र बणग्यौ बीनणीं रो क्यूरेटर ॥

[69]

क्यूं मचकावै बावळी सारै दिन ओ लेपटोपियो ।

जा मांज’र ल्या पीतळ आळौ काळो है टोपियो ॥

पै’ली दूह’र ल्या गावडी़

पछै रांध’र ल्या चावडी़

खेत सूं आंता ई गाळ काढसी सुसरो थारो भोपियो ॥

[70]

आखै दिन घर सूं नीं निकळतौ पप्पू आळौ पोपियो ।

बीनणी ई सारै बैठती,दायजै में आयौ हो लेपटोपियो ॥

नौवैं मईनै जाम्यो टाबर

जाबक   लेपटोप बराबर

गळी आळा बोल्या,अबकै तीनां रो मेळ चौखो ओपियो ॥

[71]

हिलमिल होळी खेली      ऊंदरां दिखायो हेत ।

फ़ूल तोड़ ल्याया लाल-लाल जद गया खेत ।

रगड़ बणायो रंग

सागै    घोटी भंग

मिनकी रै डर सूं पीग्या भांग   रंग समेत ॥

[72]

सिर हो मोटो पण   पतळी ही कड़तू ।

ब्या होयो नीं अर कुंआरो रै’ग्यो पड़तू।

बुडापै में लाग्यो नाको

बोल्यो ऊंचो कर बाको

देखता रै’ईयो अब बांध देस्यूं भड़तू ॥

[73]

नरेगा रै कारड़ में चिपकावणी ही फ़ोटू !

मोटी जोडा़यत साथै कोड में बैठ्यो कोटू ।

फ़ोटोग्राफ़र गिण्या तीन

कैमरै में आयो नीं सीन

बो बोल्यो बाबै नै भेज तूं उठज्या छोटू ॥

[74]

रीसां में बोल्यो ऐक दिन खेमलो खिलाडी़ ।

दारू पीवण नीं देवै रांड आयगी अनाडी़ ।

गया नीं    होटल

खोली नीं बोतल

इयां तो भूखा ई मरजासी बापडा़ कबाडी ॥

[75]

ऊंदरै भेज्यो ऊंदरी नै        ऐक दिन ई मेल ।

धरती माथै तो है कोनी थारै जिसी फ़िमेल ।

ऊंदरी बोली     रुक

पै’ली देख फ़ेसबुक

बठै लाधसी  लाडी म्हारै जिसी रेल री रेल ॥

[76]

ऊंदरी बोली कार ल्याओ चढूं कोनीं बस में ।

जी घुटै म्हारो     भीड़-भाड़ अर भारी रस में ।

ऊंदरो बोल्यो धिक्कै कोनीं

तूं म्हारै अब टिक्कै कोनीं

थारै जिसी तो होवणी चाईजै     सरकस में ॥

[77]

ऊंदरी ही पेट सूं डागधर जी करी सोनोग्राफ़ी ।

पेट में दिख्या बच्चिया अणगिणत अर काफ़ी ।

करो ना रीस

लेऊं नीं फ़ीस

म्हारै कोनीं इत्ता पालणियां    म्हनै देवो माफ़ी ॥

[78]

देखो जमानै में फ़ैसन      बदळ्या है दस्तूर ।

ऊंदरी बोली ऊंदरै सूं     आपणो काईं कसूर ।

देखो टींगर-टींगरी

फ़ैसन में फ़ींगरी

हाथै फ़ाड़-फ़ाड़ पै’रै आपरा पै’रण आळा पूर ॥

[79]

ऊंदरो बोल्यो ऊंदरी सूं      सुणै है काईं स्याणी ।

आज तो लड़ मरिया आपणां सेठ अर सेठाणी ॥

बात कोनीं छोटी

पकै कोनी रोटी

ऊंदरी बोली डरो ना होटल सू आसी रासण पाणी ॥

[80]

ऊंदरी जाम्यो ऊंदरो  ऐक सकल मिलै बिल्ली सूं ।

काईं बतावै दाई ऊंदरै रो फ़ोन आयो दिल्ली सूं ।

सतगुरू तेरी ओट है

ऊंदरी में तो खोट है

लाई ऊंदरो कींयां बचसी जग में उडती खिल्ली सूं ॥

[81]

खेमलै रै जंचगी      खेलण सारू होळी ।

दिनूगै उठतां ई खा ली भांग री गोळी ।

नसै में पडी़ नी ठा

लुगाई पै’रा दी ब्रा

फ़ेर घूम्यो सारै    दिन पै’र परो चोळी ॥

[82]

गैर रमण सारू निकळ्यो नंगियो नंग ।

गाबा खोल टाबरां करियो नंग धड़ंग ।

आई जणां लाज

धोरै चढ्यो भाज

फ़ेर बजायो बण आंख मींच’र चंग ॥

[83]

ऐसकै भड़तू खेली होळी बडी़ तेज ।

कोड-कोड में बण रंग दियो अंगरेज ।

थे तो करियो तंग

म्हे गेरां खाली रंग

रंगीज जा नीं तो बणा लेस्यूं मिसेज ॥

[84]

खड़कू खोडि़यै री भू भी खोड़ली ।

सुसरै नै रंगण लारै-लारै दौड़ली ।

बूढियै नै पटक

रंग दियो चटक

रीसां बळती सासूडी़ चूडी़ फ़ोडली ॥

[85]

दारू रै नसै में     भुणियों बेगो आयो घरां ।

बोल्यो- आज तो      किणीं सूं ई नीं डरां ।

दीखी जद लुगाई

पाछी दौड़ लगाई

बोल्यो आज फ़ेर मरस्यां जियां रोज मरां ॥

[86]

भांग रै नसै में हो भूंड मल भंडार ।

लुगाई घरां ल्याई पालणियों मंडा’र ।

म्हारै साथै खेलो होळी

बोल्यो,ना ऐ नार भोळी

थांनै रंगां तो कूटै बा म्हारली रंडार ॥

[87]

ऊंदरां मिल विचारी होळी रमण री ।

मिनकी तकाई बां हलवाई झमण री ।

देखी बीं री आंख लाल

हाथ सूं छूटगी गुलाल

फ़ेर तो खबर ई आई ऊंदरा गमण री ॥

[88]

होळी खेळण री ऊंदरां रै आई दिल में ।

खेलां तो खेलां    मिल’र अबकै बिल में ।

ल्याया पिचकारी

मार’र टिचकारी

बोल्या-दारू भी तो ल्याओ महफ़िल में ॥

[89]

गुड़गांवै री ऊंदरी अर ऊंदर हो दिल्ली रो ।

शेर नै मारता    पण डर तो हो बिल्ली रो ।

ऊंदरी बोली होळी है

मिनकी पूरी धोळी है

रंगो तो ठाह लागै आज      शेखेचिल्ली रो ॥

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आओ बेलियो छोडो सगळी राम्पारोळी ।

भेळा होय आपां सगळा मनावां होळी ।

कविडो़ तो नटग्यो

खड़्यै पगां अंटग्यो

बोल्यो-पै’ली बताओ कुणसो देस्सी न्योळी ,।।

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