"राजस्थानी कविता - (आपणो गाँव दुगस्ताऊ)
जायल रा जाट
Wednesday, May 2, 2018
मारवाड़ी
घणौ कमायो सायबा, घरां पधारो आय । रासण खूट्यो आसरै,बिज़ळी झपका खाय ॥
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