Friday, November 25, 2016
म्हारो प्यारो राजस्थान
नावं सुण्या सुख उपजै !
नावं सुण्या सुख उपजै हिवड़े हरख अपार ।
इस्यो मरुधर देश में घणी करे मनवार ।।
मरुधर सावण सोवणो बरस मुसलधार ।
मरवण ऊबी खेत में गावे राग मल्हार||
सोनल वरणा धोरिया मीसरी मघरा बैर ।
बाजरी की सौरभ गमकै ले - ले मरुधर ल्हैर ।।
पल में निकले तावड़ो पल में ठंडी छांह ।
इस्या मरुधर देश में खेजड़ल्या री छांह ।।
मरुधर साँझ सुहावणी बाजै झीणी बाळ ।
बालक घैरै बाछडिया गायां लार गुवाल ।।
रिमझिम बरसे भादवो छतरी ताने मौर ।
मरुधर म्हारो सोवणों सगला रो सिरमौर ।।
झुमै फाग में गूंजे राग धमाल ।
घूमर घालै गोरड्या उड़े रंग गुलाल ।।
देसी राजपूत की देसी सोच ।
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