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Saturday, November 26, 2016

मेहा बरस

रिमझिम-रिमझिम मेहा बरसे, काळा बादळ छाया रे। 
पिया सूं मलबां गांव चली, म्हारे पग में पड ग्या छाला रे। 
रिमझिम........ 

भरी ज्वानी म्हांने छोड गया क्यूं, जोबन का रखवाला रे। 
सोलह बरस की रही कुंवारी, अब तो कर मुकलावां रे। 
रिमझिम........... 

घणी र दूर सूं आई सजनवां, थांसू मिलवा रातां रे। 
हाथ पकड म्हांने निकां बिठाया, कान में कर गया बातां रे।

रिमझिम.......

Friday, November 25, 2016

म्हारो प्यारो राजस्थान

नावं सुण्या सुख उपजै ! नावं सुण्या सुख उपजै हिवड़े हरख अपार । इस्यो मरुधर देश में घणी करे मनवार ।। मरुधर सावण सोवणो बरस मुसलधार । मरवण ऊबी खेत में गावे राग मल्हार|| सोनल वरणा धोरिया मीसरी मघरा बैर । बाजरी की सौरभ गमकै ले - ले मरुधर ल्हैर ।। पल में निकले तावड़ो पल में ठंडी छांह । इस्या मरुधर देश में खेजड़ल्या री छांह ।। मरुधर साँझ सुहावणी बाजै झीणी बाळ । बालक घैरै बाछडिया गायां लार गुवाल ।। रिमझिम बरसे भादवो छतरी ताने मौर । मरुधर म्हारो सोवणों सगला रो सिरमौर ।। झुमै फाग में गूंजे राग धमाल । घूमर घालै गोरड्या उड़े रंग गुलाल ।। देसी राजपूत की देसी सोच ।