!!!राधे राधे हरे कृष्णा हरिगं राधे राधे!!
चाकर राखले साँवरिया, तेरो भोत बङो दरबार
भोत बङो दरबार तेरो, भोत बङो दरबार
चाकर राखले.....................
पूरब पश्चिम, उतर दक्षिण, दशो दशा में राज तेरो
राजा और महाराजा तेरे, आगे है लाचार।
चाकर राखले.....................,
तिन लोक चौहद भूवन में, फैल्यो कारोबार तेरो,
यूंगा यूंगा सू सरपट दौङ, श्याम तेरी सरकार।
चाखर राखले.....................,
सीधो सादो, बन्दो मैं तो नेम धेम को पक्को रे,
एेसे चाकर की तो होसी, श्याम तने दरकार रे।
चाखर राखले.....................,
जो सोपणो, काम साँवरा, चाव लगाकर करस्यूँ रे,
अरजी है साँवरिया म्हानै, मोको दे एक बार।
चाकर राखले....................,
जो दैवगो, पून -पाउलो,हँसी खुशी से लस्यूं रे
"नन्दू "थारी रजा में राजी, सेवकियो तैयार रे।
चाकर राखले....................
!!! जय श्री कृष्णा!!!
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