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Saturday, July 25, 2015

दरद दिसावर

लोग न जाणै कायदा ना जाणै अपणेस । 
राम भलाईँ मौत दे मत दीजै प्रदेश || 

ना सुख चाहु सुरग रो नरक आवसी दाय। 
म्हारी माटी गांव री गळियाँ जै रळ जाय॥ 

जोगी आयो गांव सूँ ल्यायो ओ समचार । 
काळ पड्यो नी धुक सक्यो दिवलाँ रो त्युहार् ॥ 

इकतारो अर गीतडा जोगी री जागीर । 
घिरता फिरतापावणा घर घर थारो सीर ॥ 

आ जोगी बंतल कराँ पूछा मन री बात । 
उगता हुसी गांव मँ अब भी दिन अर रात ॥ 

जमती हुसी मैफलाँ मद छकिया भोपाळ । 
देता हुसी आपजी अब पी कै गाळ ॥ 

दारू पीवै आपजी टूट्यो पड्यो गिलास । 
पी कै बोलै फारसी पड्या न एक किलास ॥ 

साँझ ढल्याँ नित गाँव री भर ज्याती चौपाळ । 
चिलमा धूँवा चालती बाताँ आळ पताळ ॥ 

पाती लेज्या डाकिया जा मरवण रै देश । 
प्रीत बिना जिणो किसो कैजे ओ सन्देश ॥ 

काळी कोसा आंतरै परदेशी री प्रीत । 
पूग सकै तो पूग तूँ नेह बिजोगी गीत ॥ 

मरवण गावै पीपली तेजो गावै लोग । 
मै बैठयो परदेश मँ भोगू रोग बिजोग ।। 

सावण आयो सायनी खेता नाचै मोर । 
म्हारै नैणा रात दिन गळ गळ जावै मोर ॥

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