(1)
बरसण लाग्या सरकणा, भीजण लागी भींत।
ऊंठ सरिसा बैयग्या, दाळ रो सुवाद आयो ई कोयनीं।।
(2)
गुवाड़ बिचाळै पींपळी, म्हे जाण्यो बड़बोर।
लाफां मार्यो घेसळो, छाछ पड़ी मण च्यार।
लुगायां, कांदा चुगल्यो ऐ, चीणां री दाळ-सा।।
(3)
भूंगर चाल्यो सासरै, सागै च्यार जणां।
भली जिमाई लापसी, वा रै कस्सी डंडा।।
(4)
भिड़क भैंस पींपळ चढी, दोय भाजग्या ऊंठ।
गधै मारी लात री, हाथी रा दोय टूक।
लुगायां, लाठी ल्याओ ऐ, गूदड़ै में डोरा घालां।।
(5)
चूल्है लारै के पड़्यो, म्हे जाण्यो लड़लूंक।
पूंछ ऊंचो कर'र देखां, तो टाबरां री माय।।
(6)
चरड़-चरड़ फळसो करै, फळसै आगै दो सींग।
आगै जाय'र देखूं तो, कुतड़ी पाल्लो खाय।
चरणद्यो बापड़ी नै, गाय री जाई है।।
(7)
गुवाड़ बिचाळै गोह पड़ी, म्हैं जाण्यो गणगौर।
पूंछड़ो ऊंचो कर'र देखूं तो, दीयाळी रा दिन तीन ही है।।